PM मोदी ‘अरिहंत’ को जल्द करेंगे लोकार्पित

भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी ‘आई.एन.एस. -अरिहन्त’ अगले कुछ महीनों में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल कर दी जाएगी.
पिछले आठ माह से चल रहे अपने सभी अन्तिम परीक्षणों में यह पनडुब्बी कामयाब रही. बताया जा रहा है कि अब यह आपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार है और शीघ्र ही इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र की सेवा में लोकार्पित किया जाएगा. फिलहाल इसकी सभी योजनाओं को गोपनीय रखा गया है.
अधिकारिक सूत्रो ने बताया कि रूस की मदद से आईएनएस-अरिहंत के फाइनल टेस्ट के दौरान वहां की डाइविगं सपोर्ट शिप ने मदद की. ‘एप्रांन’ नाम की यह शिप एक पिछले अक्टूबर माह से ही भारत में है. इसका इस्तेमाल युद्धपोतों और पनडुब्बियों के डूबने के हालत में उन्हें बाहर निकालने के लिए किया जाता है. भारतीय नौसेना को यह पनडुब्बी कब तक प्राप्त होगी, इस बारे में नौसेना को भी नहीं पता है.
नौसेना के प्रवक्ता कमांडर डी के शर्मा इस संवाददाता के सवाल पर बस इतना कहते हैं कि ”अरिहंत के बारे में सिर्फ पीएमओ ही कुछ बता सकता है कि उसकी क्या स्थिति है और वह कब तक नौसेना के आपरेशन बेड़े में शामिल होगी.” हालांकि छह हजार टन वजन की इस पनडुब्बी की कम्युनिकेशन टेक्नोलांजी (सीटी) नौसेना को पहले ही सौंपी जा चुकी है.
विशाखापत्तनम् में बीते फरवरी माह में आयोजित नौसेना की इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में ‘अरिहंत’ को शामिल नहीं किया गया था. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने इस प्रोग्राम में अरिंहत को इसलिए शामिल नहीं किया, क्यों कि वहां आए विदेशी युद्धपोतों में सेंसर और सर्विलांस डिवाइसेस मौजूद थीं. ये अरिहंत के फीचर्स को ट्रेस कर सकती थीं. नौसेना इसके हर फीचर को बिल्कुल ही सीक्रेट रखना चाहती है.
इस पनडुब्बी से पानी के अंदर और पानी की सतह से न्यूक्लियर मिसाइल दागी जा सकती है. पानी के अंदर से किसी एयरक्राफ्ट को भी निशाना बना सकती है. अरिहंत से छोड़ी जाने वाली परमाणु मिसाइल के-15 पूरी तरह विकसित कर ली गई है. इसके दस से अधिक परीक्षण हुए हैं. इस मिसाइल की रेंज 700 किलोमीटर है जिसे 3500 किलोमीटर तक बढ़ाने के प्रयास जारी हैं. पानी के भीतर से परमाणु वार करने की क्षमता किसी भी परमाणु देश के लिए महत्वपूर्ण है क्यों कि परमाणु हमला होने की स्थिति में पलटवार करने के लिए पानी के भीतर के अस्त्र सुरक्षित रहते हैं. पानी के भीतर होने के कारण दुश्मन पर बेहद अनजान जगह से परमाणु वार किया जा सकता है.
नौसेना की सेवा में शामिल होने के बाद यह भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी बन जाएगी. रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस- चक्र पहले ही समुद्र के भीतर कहीं चुपचाप दुश्मन पर निगाह जमाए हुए बैठी है.
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