विधायकों के फंसने पर केजरीवाल ने पास कराया बिल, राष्ट्रपति ने बिल ठुकराया

दरअसल नियम के मुताबिक दिल्ली सरकार में सात मंत्री और एक संसदीय सचिव हो सकता है। मगर केजरीवाल सरकार ने विभागों की निगरानी के बहाने एक नहीं 21 संसदीय सचिव बना दिए। संसदीय सचिव लाभ का पद होता है। विधायक लाभ का पद नहीं ले सकते। अगर केजरीवाल को विभागों की निगरानी का काम सौंपना था तो विधायकों को विधानसभा समितियों का सदस्य या अध्यक्ष बना सकते थे। मगर उन्होंने विधायकों को मलाई खाने के लिए संसदीय सचिव पद बांट दिए। जब इसका खुलासा हुआ तो केजरीवाल ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को वैध कराने के लिए विधानसभा में बिल पास कराया। जब बिल उप राज्यपाल(एलजी) के पास पहुंचा तो उन्होंने नियम विपरीत होने पर इस पर हस्ताक्षर नहीं किया। राष्ट्रपति ने भी बिल को नहीं माना। वजह कि संसदीय सचिव बनाने से पहले दिल्ली सरकार को संबंधित बिल पास कराना चाहिए। तभी संसदीय सचिव बने विधायकों की सदस्यता मुश्किल में नहीं पड़ती।
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