गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामला: 36 आरोपियों बरी, 24 आरोपियों दोषी

गुजरात के चर्चित गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड पर एक विशेष एसआईटी अदालत गुरुवार को फैसला सुना सकती है.
2002 के गोधरा कांड के बाद गुलबर्ग सोसाइटी में एक बड़ी और उत्तेजित भीड़ ने घुस कर 69 लोगों की हत्या कर दी थी. इसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी मारे गए थे.
अहमदाबाद। साल 2002 के गोधरा कांड के बाद गुजरात के चर्चित गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड मामले में एक स्पेशल एसआईटी कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। विशेष अदालत के न्यायाधीश पीबी देसाई ने फैसला सुनाते हुए 24 आरोपियों को दोषी करार दिया जबकि 36 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। अदालत कुछ देर में आरोपियों की सजा का एलान भी करेगी।
विशेष अदालत के न्यायाधीश पी बी देसाई 22 सितंबर 2015 को ट्रायल संपन्न होने के आठ महीने से भी ज्यादा समय बाद ये फैसला सुनाया
इस मामले में एसआईटी ने 66 आरोपियों को नामजद किया था जिनमें से नौ आरोपी पिछले 14 साल से जेल में हैं जबकि बाकी आरोपी जमानत पर हैं.
एक आरोपी बिपिन पटेल असरवा सीट से भाजपा का निगम पार्षद हैं. साल 2002 में दंगों के वक्त भी बिपिन पटेल निगम पार्षद था. पिछले साल उसने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की.
पिछले हफ्ते अदालत ने नारायण टांक और बाबू राठौड़ नाम के दो आरोपियों की ओर से दायर वह अर्जी खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नाकरे अनालिसिस और ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराने की गुहार लगाई थी.
अदालत ने कहा कि अब जब फैसला आने वाला है तो इसकी जरूरत नहीं है.
गुलबर्ग सोसाइटी मामला 2002 के गुजरात दंगों के उन नौ मामलों में से एक है जिनकी जांच उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित एसआईटी कर रही है.
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